"जब बेशर्मी से बिना शादी के एक साथ रह रहे हैं तो यह निजता पर हमला कैसे?"...नैनीताल हाईकोर्ट का सवाल

punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 11:01 AM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में हाल में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में सहजीवन (लिव—इन) संबंध के अनिवार्य पंजीकरण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि ‘जब आप बेशर्मी से बिना शादी किए एक साथ रहते हैं तो फिर यह आपकी निजता पर हमला कैसे हुआ ?'

दरअसल,याचिकाकर्ता ने यूसीसी में सहजीवन संबंधों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण किए जाने या कैद की सजा और जुर्माना भरने के यूसीसी के प्रावधान के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था । याचिकाकर्ता ने कहा कि वे यूसीसी के इस प्रावधान से व्यथित हैं क्योंकि इसके माध्यम से उनकी गोपनीयता पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अंतरधार्मिक युगल होने के नाते उनके लिए समाज में रहना और अपने रिश्ते को पंजीकृत कराना मुश्किल है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने दलील दी कि अनेक सहजीवन संबंध सफल विवाहों में बदले हैं और इस प्रावधान से उनके भविष्य और निजता में बाधा उत्पन्न हो रही है।

"जब बेशर्मी से बिना शादी के एक साथ रह रहे हैं तो लिव इन संबंध का पंजीकरण निजता पर हमला कैसे ?" 
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा, ‘‘आप समाज में रह रहे हो, न कि जंगल की किसी दूर दराज की गुफा में। पड़ोसियों से लेकर समाज तक सबको आपके रिश्ते के बारे में पता है और आप बिना शादी किए, बेशर्मी से एक साथ रह रहे हो । फिर, लिव—इन संबंध का पंजीकरण आपकी निजता पर हमला कैसे हो सकता है? इससे पहले, यूसीसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका तथा अन्य याचिकाओं पर अदालत ने निर्देश दिया था कि यूसीसी से पीड़ित व्यक्ति उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अदालत इस मामले पर इसी तरह की अन्य याचिकाओं के साथ एक अप्रैल को सुनवाई करेगी । 


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Content Editor

Vandana Khosla

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