अल्मोड़ा में ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन, 1860 के दशक में की गई थी शुरूआत
punjabkesari.in Saturday, Oct 05, 2024 - 12:42 PM (IST)
अल्मोड़ाः देशभर में इस समय शारदीय नवरात्रि को धूमधाम से मनाया जा रहा है। एक ओर जहां मां शक्ति की उपासना हो रही है तो वहीं रामलीला को लेकर भी लोगों में भारी उत्साह दिखाई दे रहा है। इसी बीच अल्मोड़ा में भी ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन किया गया है। यह भारत की सबसे पुरानी और विख्यात रामलीलाओं में से एक है। वहीं, जिले में आयोजित होने वाली रामलीला की विशेषता यह है कि इसे पारंपरिक तरीके से मंचित किया जाता है।
जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा में साल 1860 में बद्रेश्वर मंदिर से रामलीला का मंचन सबसे पहले शुरू हुआ था। इसके बाद तुनडा और फिर अल्मोड़ा के नंदा देवी में इस रामलीला का आयोजन किया गया। तभी से लेकर अब तक रामलीला उत्तराखंड के अल्मोड़ा में आयोजित होती है। इस रामलीला की खासियत यह है कि इसे पारंपरिक तरीके से मंचित किया जाता है। साथ ही इसमें स्थानीय लोग बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इसमें रामायण के विभिन्न प्रसंगों को मंच पर नाटकीय-गायन पात्र रूप में प्रस्तुत करते है। इस दौरान रामलीला को देखने वालों को धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव होता है।
बता दें कि अल्मोड़ा की रामलीला में पारंपरिक संगीत, नृत्य, और संवादों के माध्यम से रामायण की कथा को जीवित किया जाता है। साथ ही इसके मंचन का तरीका पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को समेटे हुए है। वहीं इस मौके पर रंगकर्मी बिट्टू कर्नाटक ने बताया कि अल्मोड़ा की रामलीला ऐतिहासिक है। उन्होंने ने कहा कि अल्मोड़ा में रामलीला को 1860 के दशक में शुरू किया गया था। बताया गया कि वर्षों से चली आ रही प्रथा को जिले में पारंपरिक,धार्मिक और सांस्कृतिक रूप में समेटा हुआ है।वहीं इस बार की रामलीला में जनपद की महिलाओं व युवतियों को प्रतिभाग के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
वहीं इस मौके पर वैश्वनी (रामलीला की पात्र) ने बताया कि यहां कई वर्षों से रामलीला हो रही है। इसमें वैष्णवी स्वयं पिछले 2 साल से प्रतिभागी है और लक्ष्मण का अभिनय कर रही है। बताया गया कि कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला अल्मोड़ा की है। इसी के साथ ही कहा कि यहां पर रामलीला पूरे अनुशासन के साथ आयोजित होती है। इसके अतिरिक्त पात्रों को रामलीला में अभिनय करने के लिए लगभग दो महीने पहले ही अभ्यास शुरू करवाया जाता है।