द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद, बीकेटीसी अध्यक्ष ने श्रद्धालुओं को दी शुभकामनाएं
punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 11:20 AM (IST)
रुद्रप्रयागः पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज यानी बुधवार प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि- विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए है। इस अवसर पर मंदिर को सजाया गया था। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली तथा देव निशानों ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल- दमाऊ सहित बाबा मद्महेश्वर के जय उद्घोष के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार को प्रस्थान किया। इस अवसर पर ढाई सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। श्री मद्महेश्वर जी के कपाट बंद होने के अवसर पर अपने संदेश में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति(बीकेटीसी)अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी।
दरअसल,कपाट बंद से एक दिन पहले श्री मद्महेश्वर मंदिर में यज्ञ- हवन किया गया था। आज यानी 20 नवंबर प्रात: साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था प्रात कालीन पूजा के पश्चात श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किए।उसके बाद मंदिर गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई। भगवान मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों,फल पुष्पों,अक्षत से ढक दिया गया। इसके बाद पुजारी टी गंगाधर लिंग ने प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान उपस्थिति में शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए। कपाट बंद होने के बाद मंदिर समिति कर्मचारियों तथा श्रद्धालुओं के साथ मंदिर की परिक्रमा भगवान मद्महेश्वर जी की डोली ने पुरातन बर्तनों तथा सामग्री का निरीक्षण किया। हक-हकूकधारी भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली के साथ प्रथम पड़ाव गोंडार को प्रस्थान हुए।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि 20 नवंबर बुधवार को कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम हेतु गौंडार पहुंचेगी। 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास तथा 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली अपने देव निशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो जाएगी। बता दें कि आज कपाट बंद होने के अवसर पर प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान,पुजारी टी गंगाधर लिंग, मंदिर समिति कर्मी दिनेश पंवार सहित गौंडार गांव के हक-हकूकधारी तथा वन विभाग के कर्मचारी एवं श्रद्धालुजन मौजूद रहे।