Bageshwar: सरकार से निराश होकर भंडारी गांव की महिलाओं ने उठाया फावड़ा, 20 साल के इंतजार के बाद अब खुद बना रही हैं सड़क
punjabkesari.in Monday, Mar 13, 2023 - 01:12 PM (IST)

बागेश्वर (राजकुमार पाल): उत्तराखंड में बागेश्वर (Bageshwar) जिले के भंडारी गांव की महिलाओं ने सरकार से निराश होकर एक अहम कदम उठाया है। दरअसल 20 साल के लंबे इंतजार के बाद भी जब उनके गांव में सड़क नहीं बनी तो महिलाएं खुद फावड़ा और बेलचा लेकर सड़क निर्माण में जुट गई है। महिलाओं का ये कदम सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है और ग्रामीण जीवन की दुर्दशा को भी दिखाता है।
जानें क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जिले के भंडारी गांव (Bhandari Village) की महिलाओं ने कई बार सरकार से सड़क बनाने की गुहार लगाई। इतना ही नहीं सरकार पर भरोसा कर उन्होंने लंबे समय तक इंतजार भी किया। वहीं, जब 20 साल के इंतजार के बाद भी भंडारी गांव में सड़क नहीं बनी तो महिलाओं ने खुद सड़क बनाने की ठान ली है। इसी कड़ी में महिलाएं फावड़ा और बेचला लेकर सड़क निर्माण में जुट गई है। महिलाओं ने बताया की सरकारों पर से अब भरोसा उठ चुका है। करीब 2 दशकों से वह सड़क का इंतजार कर रहे है, लेकिन सरकारों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। उन्होंने कहा की उनके गांव को अटल आदर्श गांव तो घोषित कर दिया गया है, पर हालात जस के तस ही बने हुए है।
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पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ 2 किमी लंबी बनाने में जुट गई है महिलाएं
उन्होंने बताया कि कई परिवार सड़क के अभाव में गांव से पलायन भी कर चुके है। जो बचे है उनको भी अब मजबूरी में पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। किसी आपात स्थिति में सड़क न होने का दर्द महसूस होता है। इस बार उन्होंने ठान लिया है की सरकार कुछ करे ना करे हम अब इस काम को पूरा करेंगे। गांव तक सड़क का निर्माण अब खुद करके रहेंगे। इसलिए सभी महिलाओं ने फावड़ा और बेलचा लेकर पहाड़ को काटना शुरू कर दिया है। बता दें कि गांव के ज्यादातर पुरुष रोजगार की तलाश में शहरो मे रहते है। गांव की महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ दो किमी लंबी सड़क बनाने के लिए जुट गई है।
'किसी काम की नहीं है डबल इंजन सरकार'
वहीं, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने बताया की डबल इंजन की सरकार किसी काम की नहीं रही है। आज गांव की महिलाएं सरकार को आईना दिखा रही है कि सरकार आखिर गरीबों और अहसयाओं के लिए कितना सोच रही है। एक यही गांव नहीं है जहां ये समस्या है, जिले के अनेकों गांव आज भी सड़क से वंचित है।
'सरकार के वादों से दुखी होकर खुद ही सड़क बनाने के लिए मजबूर हो गए है ग्रामीण'
सामाजिक कार्यकर्ता और क्षेत्रवासी गोबिंद भंडारी ने बताया की इस दौर में भी इस तरह की समस्या का सामना कर रहे लोगों के लिए काफी दुख होता है। एक तरफ सरकारें आती जाती है और काफी वादे भी करती है। दूसरी तरफ उनके वादों का असर ये दिखता है। जहां ग्रामीण महिलाओं और बुजुर्गों को सरकार के वादों से दुखी होकर खुद ही सड़क बनाने के लिए मजबूर हो गए है, ये सरकार की नाकामी है।