मकर संक्रांति पर मां जिया रानी के मंदिर में विशेष पूजा अर्चना, कत्यूरी वंश की इष्ट देवी है ''माता''
punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 12:14 PM (IST)
हल्द्वानी : आज मकर संक्रांति के अवसर पर मां जिया रानी के मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। जियारानी माता का मंदिर हल्द्वानी क़े रानीबाग चित्रशीला घाट पर स्थित है। जिया रानी वो राजमाता है जिन्होंने मुगलों का डटकर सामना किया। जिया रानी माता कत्युर वंश की इष्टदेवी हैं। वहीं, मकर संक्रांति क़े अवसर पर कत्युरी वंश क़े लोग यहां माता जिया रानी की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद लेते हैं और पवित्र गौला नदी में स्नान कर अपने घरों को लौटते हैं।
कत्यूरी राजवंश की रानी थी जिया माता
मिली जानकारी के अनुसार आज से लगभग 800 साल पहले 12वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश का राज्य था। जिसकी राजधानी कत्यूरी घाटी बागेश्वर हुआ करती थी। उस समय कत्यूरी राजवंश की रानी थी जिया। 12 वीं शताब्दी में मुगल और तुर्कों का शासन बढ़ता चला गया। मुगलों ने उत्तराखंड को लूटने के लिए गढ़वाल में हरिद्वार और कुमाऊं में हल्द्वानी को अपना रास्ता बनाया। लेकिन इस दौरान मुगलों को कत्यूरी सेना से मुंह की खानी पड़ी और युद्ध हार गए। जिया रानी जब बढ़ी हुई तो अपने राज्य का कार्यभार देखने के लिए गौला नदी के घाट पर आ गई। जहां उन्होंने एक बाग बनवाया और इस पूरे इलाके का नाम रानीबाग पड़ गया।
जब पत्थर की शिला में तब्दील हो गया माता जिया रानी का लहंगा
जियारानी भगवान शिव की परम् भक्त थी। बताया जाता है कि जब वो रानी बाग गौला नदी के तट पर चित्रेश्वर महादेव यानी शिव जी के दर्शन करने आई थी तो उनके स्नान करने के दौरान मुगल दीवान उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया। मुगल सैनिकों से लड़ते-लड़ते उस स्थान को अपवित्र होने से बचाने के लिए जिया रानी वहां से अंतर्ध्यान हो गई। जिया रानी ने उस समय अपना लहंगा उसी स्थान पर छोड़ दिया और जब मुगलों ने लहंगे को छूकर जिया रानी को ढूंढना चाहा, तो लहंगा पत्थर की शिला में तब्दील हो गया। मुगलों को जिया रानी का कोई अता पता नहीं चल सका। यह पत्थर आज भी चित्रशिला घाट पर मौजूद है और मकर संक्रांति के दिन लोग यहां पर जिया रानी के नाम की पूजा अर्चना कर अपने लिए सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। पहाड़ों में जब किसी भी तरह की जागर का आयोजन होता है तो जजिया शब्द का उच्चारण होता है जिसका अर्थ है "जय जिया" यानी जिया रानी माता की जय!
मकर संक्रांति पर माता जिया रानी के दरबार में लगता है मेला
चित्रशिला घाट के ठीक ऊपर माता जिया रानी की गुफा भी है। बताया गया कि जब मुगलों ने माता जियारानी का पीछा किया तो वें अंतर्ध्यान होकर इस गुफा में आकर छिप गई। यहां से अपने इष्ट देव के दरबार में प्रकट हुई। जिया रानी की गुफा आज भी यहां मौजूद हैं। मकर संक्रांति पर कत्यूरी वंश के लोग यहां आकर माता जिया रानी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। माता जियारानी यहां उन्हें अपना आशीर्वाद भी दे रही है। हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर माता जिया रानी के दरबार में मेला लगता है।