"वर्ष 2040 में चांद की सतह पर भारतीय कदम रखेगा", इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में बोले इसरो के अध्यक्ष डा.वी नारायणन
punjabkesari.in Wednesday, Mar 05, 2025 - 10:52 AM (IST)

हरिद्वारः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डा.वी नारायणन ने मंगलवार को कहा कि ‘मानव मिशन' के तहत वर्ष 2040 में चांद पर भारतीय कदम रखेगा। नारायणन ने उत्तराखंड के रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में छठवीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में इस आशय की घोषणा की। इस कॉन्फ्रेंस में दक्षिण कोरिया, कैलिफोर्नियायू एस ए, नीदरलैंड, कनाडा जैसे कई देशो से वैज्ञानिक शामिल होने पहुंचे थे। डा. नारायणन के अनुसार भारत वर्ष 2040 में चांद की सतह पर भारतीय कदम रखेगा। इसरो चेयरमैन आईआईटी-रूड़की में आयोजित इंडियन प्लेनेटरी कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि मीडिया से मुखातिब हुए यह बात कही।
"चांद पर भारतीय के पहुंचने को लेकर पीएम मोदी बेहद उत्साहित"
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चांद की सतह पर भारतीय नागरिक के पहुंचने को लेकर बेहद उत्साहित है। इसरो इसके लिए लगातार प्रयासरत है। साथ ही भारत सन 2030 तक अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन भी स्थापित कर लेगा। अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने यह भी कहा कि इस स्टेशन की स्थापना के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शुमार होगा जिसका अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान एक, दो व तीन अभियान की सफलता के साथ गगन यान और आदित्य (सूर्य) मिशन के साथ ही भारत अत्याधुनिक सेटेलाइट लांच करने में विश्व में अग्रणी देश बन गया है। इस सम्मेलन में भारत कोरिया अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (आईकेसीआरआई) के निदेशक डॉ. यंग हो किम ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के. के. पंत ने की।
"अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य टिकाऊ और जिम्मेदार प्रथाओं पर टिका"
अपने मुख्य भाषण में डॉ. नारायणन ने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य टिकाऊ और जिम्मेदार प्रथाओं पर टिका है। भारत अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने में सबसे आगे है जो हमारे ग्रह मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषणों को आगे बढ़ाएंगे। आईकेसीआरआई के निदेशक डॉ. किम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक अनुसंधान स्थिरता सुनिश्चित करने की कुंजी है। भारत-कोरिया साझेदारी वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी एवं नीति में प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले समय में हमें भारत-कोरिया विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को और मजबूत करना है।
अध्यक्षीय भाषण देते हुए प्रो. के. के. पंत ने कहा कि आईआईटी रुड़की में, हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, ग्रह विज्ञान एवं सतत विकास में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सम्मेलन इन क्षेत्रों में नवाचार एवं क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। इस सत्र में आईआईटी रुड़की के उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह और आईएन-स्पेस के निदेशक डॉ विनोद कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने में शिक्षा-उद्योग सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।