86 एकड़ भूमि को निजी हाथों में सौंपने के मामले में उत्तराखंड HC ने जारी किया नोटिस, राज्य सरकार से मांगा जवाब
punjabkesari.in Wednesday, Jul 03, 2024 - 03:39 PM (IST)
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नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऊधम सिंह नगर की सितारगंज किसान सहकारी चीनी मिल और उसकी 86 एकड़ बहुमूल्य जमीन को मात्र 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर निजी हाथों में सौंपने के मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। सितारगंज और पीलीभीत के गन्ना उत्पादक किसानों राजेन्द्र सिंह और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि संयुक्त उप्र में सितारगंज, बरेली और पीलीभीत के किसानों की ओर से अस्सी के दशक में सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के तहत सितारगंज किसान सहकारी समिति का गठन किया गया और उसके तहत सितारगंज चीनी मिल का संचालन किया जाता रहा। याचिकाकर्ताओं की ओर से आगे कहा गया कि वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार की ओर से मनमाना कदम उठाते हुए चीनी मिल को बंद करने का आदेश जारी कर दिए गए। गन्ना विकास सचिव की ओर से जारी आदेश के बाद चीनी मिल में उत्पादन ठप हो गया। चीनी मिल को बंद करने के निर्णय से पहले न तो गन्ना किसानों को विश्वास में लिया गया और न ही किसान सहकारी समिति की अनुमति ली गई।
सरकार के मनमाने कदम पर रोक लगाने की मांग
यही नहीं वर्ष 2020 में सरकार ने सितारगंज की उप जिलाधिकारी मुक्ता मिश्रा को चीनी मिल में परिसमापक नियुक्त कर दिया गया और चीनी मिल को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए गए। अंत में पिछले वर्ष 19 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन लिमिटेड ने चीनी मिल को जेएनएन शुगर्स और बायो फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड को 30 वर्ष के लिये लीज पर सौंप दिया। यही नहीं चीनी मिल की 86 एकड़ भूमि को भी 100 रुपये के स्टाम्प पर कंपनी को सौंप दी गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से सरकार के मनमाने कदम पर रोक लगाने की मांग की गई है। अधिवक्ता योगेश पचोलिया ने बताया कि अदालत ने अंत में सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।