कम मतदान से सियासी दलों की उड़ी नींद, चुनाव आयोग के 75 प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को झटका
punjabkesari.in Sunday, Apr 21, 2024 - 05:57 PM (IST)
हल्द्वानी: चुनाव आयोग ने राज्य में 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य हासिल करने को तमाम कवायद की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके विपरीत मतदान का प्रतिशत घटकर राज्य में 15 साल पहले के परिणाम पर जा पहुंचा। इससे निर्वाचन आयोग की अधिक मतदान कराने की मुहिम को तो झटका लगा है, वहीं सियासी दलों की भी नींद उड़ गई है। कम मतदान का किसे फायदा होगा अथवा किसे नुकसान, इस पर विश्लेषक समीक्षा करने में जुट गए हैं।
2009 के बाद घटा मतदान, वोट प्रतिशत बढ़ाने की मुहिम को झटका
उत्तराखंड में निर्वाचन आयोग के साथ ही राजनीतिक दलों की कोशिशों के बावजूद मतदान गिर गया। उत्तराखंड मत प्रतिशत के मामले में फिर से 2009 वाली स्थिति में आ गया है। 2004 में मतदान 49.25 प्रतिशत, 2009 में 53.96 प्रतिशत हुआ था। इसके बाद 2014 में मतदान प्रतिशत बढ़कर 62.15 प्रतिशत पर पहुंच गया। फिर 2019 में यह आंकड़ा गिरकर 61.50 प्रतिशत पर आया। इस बार यह आंकड़ा 2009 के आसपास यानी 55.89 प्रतिशत तक आ गया है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने को चुनाव आयोग ने प्रदेश भर में स्वीप की मदद से 60 लाख लोगों को मतदान की शपथ भी दिलाई थी।
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने शादी विवाह के सीजन और गर्मी को बताया कारण
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे का मानना है कि कम मतदान के कई कारण हो सकते हैं। वह कहते हैं है कि शादी-विवाह अधिक थे। मैदानी जिलों में गर्मी भी ज्यादा थी। इस वजह से भी मतदान कम हुआ होगा। सियासी दलों की बात करें तो सभी अपने-अपने दावे कर रहे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में मत प्रतिशत 60 प्रतिशत के पार हो गया था और भाजपा को पांचों सीटें मिली थीं लेकिन इस बार मत प्रतिशत कम रहना भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है, हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उधर कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया है कि भाजपा को चुनाव में भारी नुकसान होने वाला है। कम प्रतिशत से भाजपा को ही नुकसान होगा।