महिला आयोग की सदस्य बोलीं- किन्नर समाज को मिले शिक्षा का अधिकार फिर होगा स्वस्थ समाज का निर्माण

Friday, Mar 22, 2024 - 08:22 PM (IST)

देहरादून: उत्तराखंड महिला आयोग की सदस्य नरूला ने शानदार पहल की है। उन्होंने कहा कि वो महिलाओं के अतिरिक्त किन्नर समाज के लिए भी काम करना चाहती हैं। नरूला ने कहा कि किन्नर समाज को बहन और चरित्रवान मूर्तियाँ बनाते हैं तो हमें अन्य समाज में निपुणता दिलवाने की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से किन्नर समाज को शिक्षा का अधिकार देना चाहिए जिससे स्वस्थ समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके।

आप को बता दें कि राष्‍टीय महिला आयोग की सांविधिक निकाय के रूप में स्‍थापना महिलाओं के लिए संवैधानिक और विधायी सुरक्षापायों की समीक्षा करने, उपचारी विधायी उपायों की सिफारिश करने; शिकायतों के निवारण को सुकर बनाने; और महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देने के लिए राष्‍ट्रीय महिला आयोग अधिनियम,1990 (भारत सरकार का 1990 का अधिनियम संख्‍या 20) के तहत जनवरी, 1992 में की गई। जुलाई 1990 में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विधेयक के बारे में सुझाव प्राप्‍त  करने के लिए राष्‍ट्र स्‍तरीय सम्‍मेलन आयोजित किया। अगस्‍त, 1990 में सरकार अनेक संशोधन लाई और आयोग को सिविल न्‍यायालय की शक्‍तियां प्रदान करने के नए उपबंध पुर:स्‍थापित किए।  

30 अगस्त, 1990 को राष्‍ट्रपति की मिली स्‍वीकृति
पहले आयोग का गठन 31 जनवरी, 1992 को हुआ जिसकी अध्‍यक्ष श्रीमती जानकी पटनायक थीं। दूसरे आयोग का गठन जुलाई, 1995 में किया गया जिसकी अध्‍यक्ष डा0 (श्रीमती) मोहिनी गिरि थीं।  तीसरे आयोग का गठन जनवरी, 1999 में किया गया जिसकी अध्‍यक्ष श्रीमती विभा पारथसारथी थीं ।


 

Ramkesh

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