आसमानी आफत से केदारघाटी व तुंगनाथ घाटी के कई परिवारों की बढ़ी परेशानियां, भू-धंसाव का दंश झेल रहा उषाडा गांव

punjabkesari.in Wednesday, Aug 14, 2024 - 04:03 PM (IST)

रुद्रप्रयाग: इन दिनों आसमानी आफत ने केदारघाटी व तुंगनाथ घाटी में कई परिवारों की बेचैनियां बढ़ा रखी हैं। इसके चलते तुंगनाथ घाटी का उषाडा गांव भू-धंसाव का दंश झेल रहा है। वहीं प्रशासन गांव के विस्थापन को लेकर कार्रवाई कर रहा है।

60 परिवार विस्थापन की कर रहे मांग
दरअसल, तुंगनाथ घाटी से निकलने वाली आकाश कामिनी नदी में बीते 11 अगस्त की रात्रि को बादल फटने से उषाडा गांव के नीचे नदी के कटाव से गांव भू-धंसाव की जद में आ गया है। इस आपदा में कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान जमींदोज हो गए हैं, तो कई आवासीय भवन भी रहने लायक नहीं हैं। इस गांव में भू-धंसाव का दंश झेल रहे 60 परिवारों ने प्रशासन से विस्थापन की मांग की है। यह गांव पिछले कई वर्षों से भू-धंसाव की मार झेल रहा है लेकिन पूरे गांव का अब तक विस्थापन नहीं हो सका है। साथ ही ऊखीमठ-चोपता मंडल राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव के चलते जोखिम भरा हो गया है।

एक हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि तबाह
 वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि आकाश कामिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से एक हेक्टेयर से भी ज्यादा कृषि भूमि तबाह हो गई है। जबकि टूरिस्ट क्षेत्र होने के कारण यहां लगे व्यावसायिक हट्स, टेंट भी नदी के कटाव में बह गए हैं। बताया गया कि तहसील प्रशासन द्वारा खेती, आवासीय व व्यावसायिक भवनों को हुए नुकसान का आकलन किया गया है। लेकिन ग्रामीणों के लिए कोई भी विशेष व्यवस्था नहीं की गई, ना ही मुआवजा आदि प्रदान किया गया। गांव में रहने वाले परिवारों के सामने आए इस संकट के बीच ग्रामीण खुद ही सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।

नदी का जलस्तर बढ़ने से भू-कटाव
 बता दें कि उषाडा गांव से आपदाओं का पुराना नाता रहा है। वर्ष 2003-04 से ही इस गांव में भू धंसाव शुरू हो गया था। बीच के कुछ वर्षों में भू धंसाव शांत रहा किन्तु 2013 की आपदा में फिर यह सक्रिय हो गया। जिसमें 60 प्रतिशत ग्रामीणों के भवन क्षतिग्रस्त हो गए थे। हालांकि उसके बाद भी भू  धंसाव बंद हो गया था किन्तु बीती 11 अगस्त की रात्रि को आकाश कामिनी नदी में बादल फटने से नदी का जलस्तर बढ़ गया, जिसने गांव के नीचे जबरदस्त कटाव कर दिया। ऐसे में एक बार फिर भूस्खलन और भू-धंसाव शुरू हो गया। ग्रामीणों ने पूरे गांव के विस्थापन की मांग की है।


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Content Writer

Nitika

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